मैं ख़ुद ही अपनी तलाश में हूँ मेरा कोई रहनुमा नहीं है
मैं ख़ुद ही अपनी तलाश में हूँ मेरा कोई रहनुमा नहीं है वो क्या दिखाएंगे राह मुझको जिन्हें ख़ुद अपना पता नही है मसर्रतों की तलाश में...
मैं ख़ुद ही अपनी तलाश में हूँ मेरा कोई रहनुमा नहीं है वो क्या दिखाएंगे राह मुझको जिन्हें ख़ुद अपना पता नही है मसर्रतों की तलाश में...
जब मै पहली बार आई थी, उस वक़्त भी तुम सब घबराये थे। धीरे-2 बड़ी होती गई, तुम सब मुझे खुद से अलग होने का, एहसास और गहरा करते...
यह कविता मुझे बहुत पसंद है| आप भी पढ़िए| गोरख पाण्डेय बहुत ही कम समय में दुनिया को बहुत कुछ देकर विदा हो गए लेकिन...
कवितायेँ आपको नींद से जगाती हैं| कभी-२ ये आपके होने का एहसास कराती हैं| मै तो कहता हूँ कि कवितायेँ पढ़िए और इसे संगीत की...
हुक्मरान कभी हमसे भी मिला करो, बगैर अपॉइंटमेंट, हम भी तो है तेरे फैन| तुम्हारा चमचमाता चश्मा, और घुंघराली अंग्रेजी, समझ तो आया न मुझे| मगर लगा कि अपने कमीज़ की...
वो यही पढ़ी, आगे बढ़ी, लेकिन लगता है उसे भी अब , इस जगह से डर| डर लगता है उसे, उन सवालों से, जो राफेल के बारे में है, मॉब ल्यन्चिंग के...
इस कविता को मैंने १६ मार्च २०१३ को लिखा था जब ह्यूगो चावेज इस दुनिया से चले बस थे और खबर थी कि वो अपने...
शांत क्षणों में, पानी के स्थिरता, शांत रहने को कहता किन्तु, दिल के अन्दर तूफान, संभालता नहीं, सब बदल गया, चक्रव्यूह से निकला, निकाला गया मन कहता, निकाला गया, दिल कहता, न निकले, न निकाले गए, उसी जगह आज...
मन क्यों मन को ढूंढे, ये मन ही जाने मछली क्यों तट पर आकर, फिर वापिस जाये, ये कौन बताये. कोई दूर होकर, अपना हो जाए, अपना होकर, दूर हो जाए ये मन को...
सवाल तेर भी बहुत हैं सवाल मेरे भी बहुत हैं तुम किनारे के पास हो मै बीच मझदार में हूँ तुम सियासत करते हो मै उसका शिकार बनता हूँ तेरी हर आवाज़ मेरी...