लोकतंत्र का पताका
ये कविता मैंने २०१२ में लिखी थी| तुम्हे एक पताका दूंगा, जिसपर लोकतंत्र लिखा होगा, उसकी खुबशुरती के लिए एक डंडा भी दूंगा, जिसपर लोकतंत्र लिखा पताका लहराएगा, और लोकतंत्र...
ये कविता मैंने २०१२ में लिखी थी| तुम्हे एक पताका दूंगा, जिसपर लोकतंत्र लिखा होगा, उसकी खुबशुरती के लिए एक डंडा भी दूंगा, जिसपर लोकतंत्र लिखा पताका लहराएगा, और लोकतंत्र...
I wrote this poem on 31 December 2012 after the tragic 9 February incidence. सवाल तेर भी बहुत हैं सवाल मेरे भी बहुत हैं तुम किनारे के पास हो मै...
On 22 May 2018, more than 10 people killed in police firing at a massive rally demanding a closure of a Vedanta Group Unit in...
जिंदगी एक सफ़र है, इसमें उम्मीद है, आशाएं है, और मुश्किलें भी | जो सफ़र पर निकलेगा, उसे यह सब मिलेगा, उम्मीद, आशाएं और मुश्किलें| हर रोज लाखों, इस सफ़र पर निकलते हैं, कुछ...
मैंने अपनी उम्र के ढलान के साथ यह महसूस करना शुरू किया कि हिंदी भाषी क्षेत्रो से आने वाले गरीब मध्यमवर्गीय परिवार को न तो...