ये कविता मैंने २०१२ में लिखी थी| तुम्हे एक पताका दूंगा, जिसपर लोकतंत्र लिखा होगा, उसकी खुबशुरती के लिए एक डंडा भी दूंगा, जिसपर लोकतंत्र लिखा पताका लहराएगा, और लोकतंत्र...

I wrote this poem on 31 December 2012 after the tragic 9 February incidence. सवाल तेर भी बहुत  हैं सवाल मेरे भी बहुत हैं तुम किनारे के पास हो मै...

जिंदगी एक सफ़र है,इसमें उम्मीद है,आशाएं है,और मुश्किलें भी | जो सफ़र पर निकलेगा,उसे यह सब मिलेगा,उम्मीद, आशाएं और मुश्किलें| हर रोज लाखों,इस सफ़र पर निकलते हैं,कुछ...