गोरख पाण्डेय की कविता

यह कविता मुझे बहुत पसंद है| आप भी पढ़िए| गोरख पाण्डेय बहुत ही कम समय में दुनिया को बहुत कुछ देकर विदा हो गए लेकिन हम उनकी कविताओं से उनको हमेशा अपने पास पाते हैं|

हज़ार साल पुराना है उनका गुस्सा
हज़ार साल पुरानी है उनकी नफ़रत
मैं तो सिर्फ़
उनके बिखरे हुए शब्दों को
लय और तुक के साथ लौटा रहा हूँ
मगर तुम्हें डर है कि
आग भड़का रहा हूँ|